currentindianews

Search
Close this search box.

Follow Us:

भारत-इंडिया विवाद के बीच यूरोप में राहुल गांधी:9 महीने में तीसरा विदेश दौरा; यूरोपियन यूनियन के सांसदों से मुलाकात करेंगे

भारत-इंडिया विवाद के बीच राहुल गांधी यूरोप में हैं। गुरुवार तड़के वे ब्रुसेल्स पहुंचे हैं। आज वे यहां यूरोपीय संघ में सांसदों से मुलाकात करेंगे। ये राहुल का इस साल का तीसरा विदेश दौरा है। इससे पहले वे मार्च में ब्रिटेन और जून में अमेरिका दौरे पर गए थे।

राहुल गांधी का ये दौरा ऐसे समय हो रहा है जब देश की राजधानी दिल्ली में G20 समिट हो रही है। वो समिट खत्म होने के बाद भारत लौटेंगे। वहीं, भारत जोड़ो यात्रा का एक साल पूरा होने पर कई कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। राहुल इन कार्यक्रमों में शामिल नहीं होंगे।

बीते 9 साल में राहुल की 22 विदेश यात्राएं विवादित और सोशल मीडिया पर चर्चा में रही हैं। इनमें एक जर्मनी का वह दौरा भी जिसमें उन्होंने संसद में PM मोदी को गले लगाने का राज खोला था।

जून में 10 दिन के US दौरे पर थे राहुल
राहुल गांधी इससे पहले 31 मई को अमेरिका के दौरे पर गए थे। 10 दिन की विजिट में उन्होंने वॉशिंगटन, न्यूयॉर्क, सैन फ्रांसिस्को में प्रवासी भारतीयों को भारत में लोकतंत्र, सुरक्षा और राजनीति के मुद्दे पर संबोधित किया था।

पढ़िए राहुल ने अमेरिका में क्या कहा था?
1 जून, वॉशिंगटन, प्रेस क्लब- 
कांग्रेस नेता ने वॉशिंगटन डीसी के नेशनल प्रेस क्लब में मीडिया के सवालों के जवाब दिए थे। सांसदी जाने के सवाल पर राहुल ने कहा था- मुझे 1947 के बाद मानहानि के मामले में सबसे बड़ी सजा मिली है। मैंने संसद में अडाणी को लेकर स्पीच दी थी, जिसका मुझे तोहफा मिला। इसी वजह से मुझे डिस्क्वालिफाई कर दिया गया।

भारत में प्रेस आजाद नहीं, लोग बेरोजगारी-महंगाई से परेशान- राहुल ने कहा था- भारत में प्रेस की स्वतंत्रता कमजोर होती जा रही है और यह बात सभी जानते हैं। मुझे लगता है कि लोकतंत्र के लिए प्रेस की स्वतंत्रता और आलोचना को सुनना जरूरी है। मैं जो भी सुनता हूं उस पर विश्वास नहीं करता। मैं पूरे भारत में घूमा हूं। कन्याकुमारी से कश्मीर तक घूमा हूं। लाखों भारतीयों से सीधे बात की है। मुझे वो लोग खुश नहीं लगे और वो बेरोजगारी, महंगाई से बहुत परेशान हैं। लोगों में गुस्सा था।

देश में बढ़ती महंगाई और रिकॉर्ड बेरोजगारी के चलते अमीरों और गरीबों के बीच की खाई बढ़ती जा रही है। ऐसे में अर्थव्यवस्था को लेकर PM मोदी के दावों पर भरोसा करना मुश्किल लगता है।

Spread the love

यह भी पढ़ें

टॉप स्टोरीज