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छत्तीसगढ़ में आज वकीलों का प्रदर्शन:कोर्ट में नहीं करेंगे काम, एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट और मृत्यु दावा 10 लाख रुपए करने की मांग

छत्तीसगढ़ भर के वकीलों ने आज महाबंद का ऐलान किया है। इस दौरान एडवोकेट किसी भी कोर्ट में काम नहीं करेंगे और अपनी तीन सूत्रीय मांगों को लेकर जिला मुख्यालयों में विरोध-प्रदर्शन करेंगे। वकील एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट लागू करने, मृत्यु दावा राशि 10 लाख रुपए करने की मांग कर रहे हैं। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अब्दुल वहाब खान के मुताबिक न्यायालयों में काम नहीं करने का फैसला पिछले 27 अगस्त को हुई बैठक में लिया गया था। जिसमें 4 सितंबर को महाबंद करने के निर्णय पर सहमति जताई गई थी। उन्होंने बताया कि अभी शासन का ध्यान आकर्षित करने के लिए एक दिवसीय प्रदर्शन किया जा रहा है।

वहाब के मुताबिक प्रदेश भर के अधिवक्ता अपनी मांगों के समर्थन में एकजुट हैं। जब तक मांगे पूरी नहीं हो जाती हैं, तब तक अधिवक्ताओं का आंदोलन चलता रहेगा। एक दिवसीय प्रदर्शन के बाद आंदोलन के दूसरे तरीके भी अपनाएंगे। पूर्व में सरकार के वादा करने के बाद भी अधिवक्ताओं की मांगों को पूरा नहीं किया गया। इससे भारी असंतोष है।

इन जिलों के पदाधिकारियों ने दिया है समर्थन
बैठक में हुए फैसले और महाबंद पर जिला अधिवक्ता संघ मनेंद्रगढ़, जिला अधिवक्ता संघ सारंगढ़, जिला अधिवक्ता संघ जगदलपुर, अधिवक्ता संघ कोटा, अधिवक्ता संघ पेंड्रा रोड, मस्तूरी भटगांव पामगढ़ पत्थलगांव, अधिवक्ता संघ मरवाही, अधिवक्ता संघ पलारी, अधिवक्ता संघ उत्तर बस्तर कांकेर।

अधिवक्ता संघ चांपा, अधिवक्ता संघ खरसिया, अधिवक्ता संघ कोरबा, अधिवक्ता संघ भाटापारा, अधिवक्ता संघ पाली, अधिवक्ता संघ धर्मजयगढ़, अधिवक्ता संघ डोंगरगढ़, अधिवक्ता संघ सीतापुर, जिला अधिवक्ता संघ मुंगेली, तहसील अधिवक्ता संघ नवागढ़, अधिवक्ता संघ चिरमिरी, सहित समस्त अधिवक्ता संघ ने तीन सूत्रीय मांगों के समर्थन में काम नहीं करने का ऐलान किया है।

रायगढ़ में हुई घटना के बाद से आंदोलनरत हैं वकील

पिछले साल रायगढ़ में तहसील दफ्तर के कर्मचारियों और वकीलों के बीच विवाद हो गया था। मारपीट की घटना में शामिल वकीलों पर गैरजमानतीय केस दर्ज कर उन्हें जेल भेज दिया गया था, जिसके बाद प्रदेश भर में वकीलों ने आंदोलन शुरू कर दिया था।

इसके साथ ही वकीलों ने अपनी लंबित मांग एडवोकेट प्रोटेक्शन लागू करने को लेकर राजधानी रायपुर में प्रदर्शन किया था। लेकिन, इसके बाद भी अब तक शासन की तरफ से वकीलों की मांग पर कोई फैसला नहीं लिया गया है।

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