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कंपनी के लाभ बढ़ेंगे, यदि वर्किंग प्लेस पर हो ब्रेस्टफीडिंग रुम

बच्चा जन्म लेता मां की कोख से। उसके बाद मां की जिम्मेदारी बढ़ जाती है नवजात के प्रति। नवजात बोलता नहीं, बस मां को समझनी होती है उसकी हर हरकत और हर आहट। मां के स्तनों से आता दूध बच्चे के लिए अमृत है। इसकी कितनी खूबियां हैं इसे पूरा विश्व अच्छे से जानता है, लेकिन अनसुना व अनदेखा कर दिया जाता है। महिलाओं के नजरिए से बात करें तो उनका कम से कम 6 महीने तक बच्चे को स्तनपान नहीं करवाने का कारण होता है खुले में शर्म, घर व ऑफिस का कामकाज, समय की कमी या बेडौल होते स्तन। इस ओर पुरुषों का भी अहम हिस्सेदारी होती, जैसे- प्यार का बंटना। ऐसे में आप बताएं जब आपका नवजात स्तनपान नहीं करेगा कम से कम छह महीने तक तो कैसे वो बलिष्ट होगा। आप भी अपने प्रतिबिंब के साथ ऐसा कर रही हैं, तो अभी रोक दें ये आदत, क्योंकि स्तनपान हर बच्चे का अधिकार है।
संस्थानों को इस बारे में जागरूक करने की आवश्यकता है, जिससे कामकाजी महिलाएं अपने बच्चों को समुचित स्तन पान करा सकें। यदि प्रत्येक ऑफिस में कामकाजी महिलाओं की जरूरत के हिसाब से सुविधाजनक ब्रेस्टफीडिंग कक्ष की व्यवस्था हो तो महिला कर्मचारियों की कार्य क्षमता में तेजी आ सकती है। वर्ल्ड इकोनामिक फोरम के ग्लोबल जेंडर रिपोर्ट 2020 के अनुसार, भारत में 20.33 फीसदी कामकाजी महिलाएं हैं, जिनमें से केवल 40 फीसदी कामकाजी माताएं ही अपने बच्चों को 6 माह तक स्तनपान और 2 साल तक की पूरक भोजन के साथ विशेष रूप से ब्रेस्ट फीडिंग करा पाती हैं। कामकाजी महिलाएं जिन्हें बच्चों को छोड़कर घर के बाहर जाना पड़ता है उनके लिए अपना दूध निकाल कर स्टोर करना एक बेहतर विकल्प हो सकता है। एक्सप्रेस ब्रेस्ट मिल्क को कमरे के तापमान पर 4 से 6 घंटे और रेफ्रिजरेटर में 24 घंटे तक सुरक्षित रखा जा सकता है। उत्तर प्रदेश से मिले आंकड़ों के अनुसार जन्म के पहले घंटे में स्तन स्तनपान करने वालों बच्चों का प्रतिशत 23.9 है। वहीं, पहले 6 महीने तक सिर्फ मां का दूध पीने वाले बच्चों का प्रतिशत 59.7 है।
उल्लेखनीय है कि विश्वभर में हर वर्ष 1 से 7 अगस्त ब्रेस्टफीडिंग वीक अवेयरनेस के रूप में मनाया जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस बार की थीम ’फोकस ऑन ब्रेस्टफीडिंग एंड वर्क’ रखा है, क्योंकि काम करते हुए बच्चों को स्तनपान कराना महिलाओं के लिए दोहरी चुनौती हो गई है। नवजात शिशु के लिए 6 महीने तक मां का दूध सबसे महत्वपूर्ण होता है, लेकिन विश्व में 50 फीसदी महिलाएं ब्रेस्टफीडिंग नहीं करा पाती हैं।
शिशु को स्तनपान कराने में मां का भरपूर सहयोग करना हम सबकी जिम्मेदारी है और इसमें पति, परिवार, समाज, कार्य क्षेत्र सभी को अपना सहयोग करना चाहिए। आप कामकाजी हैं और स्तनपान करवाती हैं, तो इसे रोके नहीं या सबकुछ कंपनी पर नहीं छोड़ें कि कंपनी र्ब्रेस्टफीडिंग रूम बनाएं, तभी आप बच्चे को स्तनपान करवाएंगी। वैसे यदि आप सबके सामने बच्चे को स्तनपान करवाने में शर्म करती हैं, तो इसे आपको छोड़ना होगा। यह ष्शर्म त्यागकर ही आप सेहतमंद भारत की नींव को मजबूत कर पाएंगी।
जानकारों का कहना है कि मैटरनिटी लीव से लौटने के बाद सबसे पहले आपको तय करना होगा कि आप ऑफिस को कितना समय दे पाएंगी। क्योंकि आपको अपने बच्चे की भी चिंता रहेगी और काम की भी। ऐसे में आपको ही सामंजस्य बनाना होगा। आप अपने सुपरवाइजर से बात करें कि क्या आप दिन भर टुकड़ों में काम कर सकती हैं। जैसे कि तीन से चार घंटे के बाद आप 15 से 20 मिनट के लिए बच्चे की देखभाल करेंगी। अगर घर नजदीक है तो वक्त निकाल कर बच्चे को स्तनपान करा आएं। इसके अलावा आप सुपरवाइजर से घर पर रह कर काम करने की अनुमति मांग सकती हैं। अगर घर से काम करने की अनुमति न मिले तो हफ्ते में कम से कम दो दिन घर से काम करने की अनुमति जरूर लें।

दीप्ति अंगरीश

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