वैशील नगर विधानसभा में अभी तक जितने चुनाव हुए हैं उन चुनाव का यदि आंकलन किया जाये तो यहां कांग्रेस उम्मीदवार कांग्रेस के भीतराघात से ही हारता है। भजनसिंह निरंकारी और बदरुद्दीन कुरैशी जैसे नेताओं को यहां से लम्बे अंतराल से हार मिली है। इससे यह स्पष्ट हो जाता है कि कांग्रेस के समर्थक मतदाताओं की संख्या अधिक होने के बावजूद यहां का कांग्रेस उम्मीदवार क्यों हार जाता है? भजनसिंह निरंकारी के उप चुनाव में जागेश्वर साहू जो कम अंतर से जीता था उससे यह स्पष्ट हो गया था कि कांग्रेस यहां बराबरी का दावा रखती है, लेकिन बदरुद्दीन कुरैशी को 2018 में मिली 20 हजार के आसपास की हार भीतराघात का जीताजागता उदाहरण है। यही हाल मुकेश चंद्राकर के साथ भी। यहां के बहुत सारे ऐसे नेता हैं जो वैशाली नगर क्षेत्र के बाहर के नेता को चुनाव जीतना पसंद नहीं करती। कुरैशी के साथ भी बड़े पैमाने पर लोग चुनाव प्रचार कर रहे थे। लेकिन हार 20 हजार के आसपास पहुंच गई थी। मुकेश चंद्राकर के साथ भी आज तक का चुनाव प्रचार यह बताता है कि कांग्रेस यहां से भी भीतराघात की शिकार हो सकती है। मुकेश चंद्राकर को बड़ी सावधानी से भीतराघातियों सेे सावधान रहकर चुनाव लड़ना होगा अन्यथा इस बार का भी रिजल्ट पूर्व के रिजल्टों से मिलता-जुलता हो सकता है। भीतराघातियों की टीमें सक्रिय हो गई है। कांग्रेस के लिए वैशाली नगर का चुनाव बड़ी चुनौती भरा होगा।