(ए)। केंद्र सरकार के खिलाफ विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव का वही हुआ, जिसकी उम्मीद पहले से ही थी. विपक्ष भी जानता था कि परिणाम क्या रहेगा, लेकिन लोगों की रुचि इस बात में है कि नया-नवेला विपक्षी गठबंधन INDIA अपने पहले शक्ति परीक्षण में ब्रांड मोदी को टक्कर देने में किस हद तक सफल रहा?
देश 2024 के चुनाव की ओर बढ़ रहा है. ब्रांड मोदी के सामने कौन होगा? इस सवाल को हल करने के लिए हाल ही में बने नए गठबंधन ने लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव लाकर बड़ा सियासी अखाड़ा तैयार किया, तीन दिन तक सियासी नूरा-कुश्ती चली और फिर पीएम मोदी के प्रहार और विपक्ष की खाली पड़ी सीटों के सामने ध्वनिमत से गिरे प्रस्ताव का फैसला हो गया कि मोदी की सरकार को अभी कोई खतरा नहीं… लेकिन सवाल अभी के खतरे का तो था ही नहीं. विपक्ष अगले साल होने वाले लोकसभा चुनावों के लिए माहौल बनाने में जुटा है और मणिपुर ने उसे एक बड़ा मौका दे दिया.
नया-नवेला विपक्षी गठबंधन इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इंक्लूसिव अलायंस यानी I.N.D.I.A. संसद में अविश्वास प्रस्ताव के जरिए सियासत का नया अध्याय लिखने उतरा था. तीन दिन और करीब 20 घंटे तक चली चर्चा के बाद जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जवाब देने आए तो 133 मिनट तक धुआंधार सियासी तीर चले, उन्होंने मणिपुर से शुरू सियासत के इस जंग के सियासी अध्याय में कई नए पन्ने जोड़ दिए.
अपने पहले शक्ति परीक्षण में विपक्षी गठबंधन ब्रांड मोदी को टक्कर देने में किस हद तक सफल रहा? संसद के भीतर संदेश की लड़ाई में कौन किस पर भारी पड़ा? इसकी तह में जाने से पहले ये जानना जरूरी है कि भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के पास बहुमत के लिए 273 के जादुई आंकड़े के मुकाबले कहीं अधिक 300 से भी ज्यादा सीटें हैं. अविश्वास प्रस्ताव का गिरना पहले से ही तय था और ऐसा ही हुआ भी. ये सब जानते हुए भी विपक्ष अविश्वास प्रस्ताव लाया क्यों था?
आखिर प्लान क्या था?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि ये सरकार के प्रति अविश्वास कम, अपने गठबंधन के लिए विश्वास प्रस्ताव अधिक है. पीएम मोदी ने कहा कि विपक्ष की बारात में हर कोई दूल्हा बनना चाहता है. उन्होंने पश्चिम बंगाल से केरल तक, विपक्षी दलों की आपसी सिरफुटौव्वल का जिक्र करके भी विपक्ष को घेरा. वहीं, कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने अविश्वास प्रस्ताव पेश कर चर्चा की शुरुआत करते हुए कहा कि हमारा उद्देश्य सरकार गिराना नहीं, मणिपुर पर प्रधानमंत्री की चुप्पी तोड़ना है. चर्चा के दौरान विपक्ष के दूसरे नेताओं के निशाने पर भी पीएम मोदी ही रहे.
हारकर भी जीत का दावा क्यों कर रहा विपक्ष?
लोकसभा में विपक्ष के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि हम शुरू से ही मणिपुर के मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसद में आकर बयान देने की मांग कर रहे थे. लेकिन प्रधानमंत्री मौन थे. विपक्ष को प्रधानमंत्री को संसद में लाने के लिए मजबूर होकर इस संसदीय औजार (अविश्वास प्रस्ताव) का इस्तेमाल करना पड़ा. आज प्रधानमंत्री को संसद में आना पड़ा है. ये हमारी जीत है.